किसानो को लोन देने के लिए SBI ने उठाया बड़ा कदम– बैंक से कर्ज लेने के लिए किसान को अपनी जमीन गिरवी रखनी पड़ती है। किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए किसान के पास खुद की जमीन होनी चाहिए। हालांकि, किसानों के पास अब गोदामों में रखी फसलों पर कर्ज लेने का विकल्प है।
डब्ल्यूडीआरए (वेयरहाउसिंग एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी) और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने किसानों को कृषि खर्च के लिए सस्ते कर्ज उपलब्ध कराने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौता ज्ञापन के परिणामस्वरूप, किसान डब्लूडीआरए गोदामों से इलेक्ट्रॉनिक परक्राम्य गोदाम रसीदों के माध्यम से ऋण प्राप्त करने में सक्षम होंगे।
SBI के अध्यक्ष दिनेश खारा ने hindi.cnbctv18.com पर एक रिपोर्ट में कहा कि WDRA के साथ बैंक की साझेदारी किसानों को वित्तपोषण के लिए एक और विकल्प प्रदान करेगी।
ई-एनडब्ल्यूआर के माध्यम से बेहतर वित्तपोषण सुविधा उपलब्ध होगी। इससे किसानों को आसानी से कर्ज मिल सकेगा। इस सुविधा को शुरू करने से और अधिक गोदाम WDR में पंजीकृत होंगे, जिससे किसानों, गोदामों और ऋणों को उनके विकल्पों की बेहतर समझ होगी।
क्या फायदा होगा?
जब फसल काटी जाती है, तो कई किसान उसे तुरंत नहीं बेचते हैं। इसे वहीं स्टोर किया जाता है। कई बार ऐसा होता है जब हम उत्पादन की दर बढ़ाने के प्रयास में अपनी फसलों को उगाना बंद कर देते हैं, और कई बार ऐसा भी होता है जब हम मौसम के दौरान कीमत बढ़ाने के प्रयास में उन्हें स्टोर कर लेते हैं।
फसलों की बिक्री न होने से अक्सर किसानों को धन की कमी के कारण अपनी जरूरतों को पूरा करने में कठिनाई होती है। गोदामों में फसल रखने वाले किसानों को भी एसबीआई कर्ज देता है, इससे किसानों को अब आर्थिक तंगी की चिंता नहीं करनी पड़ेगी.
किसे मिलेगा लाभ?
WDR-पंजीकृत गोदाम ही एकमात्र ऐसे गोदाम हैं जो किसानों को उनकी संग्रहीत फसलों के लिए ऋण प्रदान कर सकते हैं। घर में रखी फसल ऋण की पात्र नहीं होगी। न ही अपंजीकृत गोदाम में रखी फसल पर ऋण दिया जाएगा।
आरबीआई ने कर्ज की सीमा बढ़ाई
हाल के महीनों में, रिज़र्व बैंक ने प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण के तहत ई-एनडब्ल्यूआर ऋण की सीमा को 50 लाख रुपये से बढ़ाकर 75 लाख रुपये कर दिया है। दूसरे शब्दों में, किसान अब पहले से अधिक ऋण लेने में सक्षम हैं।
अधिकृत गोदामों द्वारा जारी रसीदों के आधार पर किसान इस योजना के तहत बहुत आसानी से ऋण प्राप्त कर सकते हैं। अंतत: इससे किसानों को उनकी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी और साथ ही उन्हें जरूरत पड़ने पर अपनी फसल को बेहतर कीमत पर बेचने में भी मदद मिलेगी।
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